गुरुकुल की शाखाएं
गुरुकुल नवप्रभात वैदिक विद्यापीठ
सन् २००१ को न्यास के तत्वाधान में दश विद्यार्थियों को लेकर ओड़िशा प्रान्त में गुरुकुलीय शिक्षा, संस्कृति तथा ज्ञान विज्ञान के प्रचार प्रसार हेतु गुरुकुल नवप्रभात वैदिक विद्यापीठ प्रथम प्रकल्प के रूप में प्रारम्भ हआ। इस समय लगभग विद्यापीठ में १०० छात्र अध्ययनरत हैं। छात्रों को प्राचीन वेद वेदांग सहित आधुनिक ज्ञान-विज्ञान कम्प्यूटर आदि की शिक्षा दी जाती है। आवास एवं भोजनादि सुव्यवस्था के साथ निःशुल्क शिक्षा व्यवस्था प्राचीन शिक्षा पद्धति का स्मरण कराती है। ट्रस्ट के अध्यक्ष आचार्य भगवानदेव जी के कुशल निर्देशन में तथा आचार्य बृहस्पति जी के आचार्यत्व में वेद, वेदांग, दर्शन और उपनिषद् आदि शास्त्रों में विद्यार्थी पारदर्शिता प्राप्त कर विभिन्न परीक्षाओं तथा विभिन्न राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में कीर्तिमान् स्थापित कर रहे हैं। विगत वर्षों में १०वीं कक्षा के आठ छात्रों में ओड़िशा माध्यमिक बोर्ड में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त कर मुख्यमन्त्री मेधा सम्मान प्राप्त किया है (ओड़िशा सरकार ने विगत सात वर्षों से इस पुरस्कार को बन्द कर दिया है।) विगत वर्षों में स्नातक तथा परास्नातक कक्षा में गुरुकुल के छात्रों ने विश्वविद्यालयों में प्रथम स्थान प्राप्त कर स्वर्ण पदक प्राप्त किया है। राज्य तथा राष्ट्रस्तरीय प्रतियोगिताओं में गुरुकुल के छात्रों ने अनेक बार पुरस्कार प्राप्त किया है। अनेक छात्र J.R.F (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की छात्रवृत्ति) प्राप्तकर प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में शोध कार्य कर रहे हैं। इस विद्यापीठ के कई स्नातक विभिन्न संस्थानों तथा महाविद्यालयों में अध्यापन कार्य करते हुए वैदिक संस्कृति के प्रसार तथा राष्ट्र सेवा में सतत संलग्न हैं। अष्टाध्यायी आदि शास्त्र स्मरण कर राज्य व राष्ट्रस्तरीय प्रतियोगिताओं में गुरुकुल के छात्रों ने अनेक बार प्रथम स्थान प्राप्त किया है। न्यास की ओर से सांस्कृतिक जागरण तथा राष्ट्रीय भावना जनमानस में जागृत करने के लिए गाँव गाँव में यज्ञ तथा संस्कार आचार्य बृहस्पति एवं पुरन्दर शास्त्री जी के तत्वावधान में ब्रह्मचारियों के द्वारा अनुष्ठित किये जाते रहते हैं। आत्मिक विकास के लिए विशेष अवसरों पर प्रभात तथा नवप्रभात के उत्कलीय स्नातकों के द्वारा संस्कृत सम्भाषण शिविर के साथ योग तथा चरित्र निर्माण शिविरों का आयोजन किया जाता है। इस प्रकार न्यास अपने उद्देश्य पूर्ति की ओर निरन्तर अग्रसर हो रहा है।
नवप्रभात कन्या गुरुकुल"स्वर्ज्योतिः"
ट्रस्ट के कार्यक्षेत्र में बालिकाओं की शिक्षा की दुर्व्यस्था है। एक कन्या शिक्षित होने से पूरा परिवार शिक्षित एवं सुसंस्कृत होता है। इसको ध्यान में रखते हुए वैदिक संस्कृति सभ्यता के प्रसार हेतु १-जनवरी-२०११ को नवप्रभात कन्यागुरुकुल का शिलान्यास किया गया। तब से अनावासीय गुरुकुल के रूप में विद्यालय चल रहा है, जिसमें इस समय ४५ छात्राएँ आचार्य डॉ. अहल्या नायक तथा बहिन सागरिका जी के तत्वावधान में योग्यतापूर्वक अध्ययन कर रही हैं। श्रेणी परीक्षाओं में कृतित्व प्राप्त करने के साथ साथ अनेक छात्राओं को अष्टाध्यायी, श्रीमद्भगवद्गीता, योगदर्शन आदि कण्ठस्थ हैं। नव प्रभात कन्या गुरुकुल (स्वर्ज्योति) न केवल पश्चिम ओड़िशा में, अपितु ऋषि संस्कृति को देश-विदेश में सर्वत्र प्रसारित करेगी इस में कोई सन्देह नहीं। परमपिता परमात्मा की असीम कृपा तथा पूज्य स्वामी विवेकानन्द जी महाराज के आशीर्वाद एवम् दानी महानुभावों के पवित्र उदार दान से चकाखलिया गाँव में नवप्रभात कन्या गुरुकुल का भव्य आवासीय परिसर का निर्माण कार्य बहुत शीघ्रता पूर्वक चल रहा है। इसके निर्माण कार्य में न्यास के संरक्षक श्रीमान् दयानन्द शर्मा एवम् उनकी धर्मपत्नी सरला देवी (दक्षिण अफ्रीका), श्रीमती सीतादेवी, शशी अग्रवाल, मनोहरलाल सर्राफा एण्ड सन्स, श्री प्रभात शेखर, श्री चन्द्रकान्त (मेरठ), स्वतन्त्रपाल रस्तौगी (गुरुग्राम), स्वामी राम आश्रम, साधक ग्राम (ऋषिकेश) के सहयोगीगण, सदर आर्यसमाज, बुढ़ानागेट आर्यसमाज, थापर नगर आर्यसमाज (मेरठ), श्रीमती कनक रस्तोगी आदि के आर्थिक सहयोग से कन्या गुरुकुल के निर्माण में उल्लेखनीय प्रगति की है।अत्यन्त गौरव एवं हर्ष का विषय है कि १७ सितम्बर २०१९ को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक राष्ट्रीय चेतना के प्रतिमूर्ति डॉ. मोहनभागवत जी के करकमलों से नवप्रभात कन्या गुरुकुल "स्वर्ज्योतिः" का शुभ उद्घाटन सम्पन्न हुआ।
"यहां की पवित्रता तथा कर्मठता वैदिक युग के आश्रम का स्मरण कराती है"
लाला रामगोपाल जी शॉल वाले
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