गुरुकुल प्रभात आश्रम

प्राचीन संस्कृति, सभ्यता, परम्परा का दर्शन

गुरुकुल का परिचय

गुरुकुल प्रभात आश्रम

परम श्रद्धेय स्वामी विवेकानन्द सरस्वती जी के सान्निध्य में परम पावनी भागीरथी नदी के पावन तट पर प्रकृति से पल्लवित एवं वेद, उपनिषद्, व्याकरण आदि ग्रन्थों के द्वारा परिबृंहित भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता का अनुपम केन्द्र गुरुकुल प्रभात आश्रम प्राचीन काल की गुरु-शिष्य परम्परा का ज्वलन्त उदाहरण है...

गुरुकुल प्रभात आश्रम की स्वर्णिम यात्रा का संक्षिप्त इतिवृत्त

संसार से अज्ञान, अन्धविश्वास, असमानता, पाखण्ड, असमानता, जातिवाद एवं कुरीतिरूपी तिमिर को दूर कर मानव जाति की वैदिक ज्ञान ज्योति से आह्ल्लादित करने के लिए १९वीं शताब्दी में भारत भूमि में महर्षि दयानन्द सरस्वती रूपी ज्ञानभानु का प्रादुर्भाव हुआ था। वे आजीवन वैदिक संस्कृति सभ्यता का प्रचार प्रसार कर मानव जाति के समुद्धार में संलग्न रहे। विश्व इतिहास साक्षी है, जब भी इस धरातल पर किसी महापुरुष का आविर्भाव होता है, तब उनके महान् कार्यों को पूर्ण करने के लिए अनेक त्यागी तपस्वी प्रज्ञावान् कर्मठ महामानवों का भी पृथिवी पर आगमन होता है। महर्षि दयानन्द के आगामियों में अमर हुतात्मा स्वामी श्रद्धानन्द के राजनैतिक, सामाजिक एवं गुरुकुलीय शिक्षा-पद्धति के पुनरुद्धार के साथ वैदिक ज्ञान विज्ञान तथा संस्कृति सभ्यता के प्रचार का कार्य युग-युग तक अविस्मरणीय रहेगा। त्याग तपोमूर्ति एवं बलिदान के विग्रहरूप स्वामी श्रद्धानन्द से दीक्षित महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती के अप्रतिम वैदुष्य एवं उनके महान् व्यक्तित्व से अनुप्राणित वेदों के मूर्धन्य विद्वान् शास्त्रार्थ महारथी आर्य समाज के सिद्धान्तों के प्रति समर्पित पूज्य स्वामी समर्पणानन्द सरस्वती (पण्डित बुद्धदेव विद्यालंकार) का जन्म भी पतित पावन दयानन्द के महान् कार्यों को पूर्ण करने के लिए ही हुआ था। वे आजीवन भारत के विभिन्न प्रान्तों में अपनी ज्ञान विज्ञान से संस्कृत ओजस्वी वाणी से वेदों के रहस्यों को उजागर करते रहे, वेद विरोधियों को शास्त्रार्थ समर में धराशायी करते रहे तथा अपनी मर्मोद्घाटिनी लेखनी से वेद ज्ञान के मर्म को जन जन तक पहुंचाते रहे। अपने वेद प्रचार के कार्य को स्थायी एवं व्यापक स्वरूप प्रदान करने के लिए तथा वेदानुकूल समाज के गठन के लिए उन्होंने सन् १९३६ में अविभक्त भारत के लाहौर में वर्णाश्रम संघ की स्थापना की थी।

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गुरुकुल का परिचय

गुरुकुल स्थल

स्थान

गुरुकुल प्रभात आश्रम, टीकरी, भोला झाल, मेरठ, उ.प्र.

दूरभाष सं. +91 80067 02551

यत्र प्राच्याममलसलिलोल्लोललीलालिगङ्गा , स्वस्वच्छाम्भस्सततकुलभूम्यङ्घ्रिशुद्ध्यात्तचित्ता। दैव्या वाचोल्लसितवचसां पर्णिपर्णाश्रितश्रीर् यत्रावासः किल कुलगुरोर्वर्णिनां च प्रतीच्याम्।।यत्रोदीच्यामतिथिनिलयोऽभ्यागतस्वागताय आतिथ्यायाकुलकुलवटुर्यागशाला विशाला। मन्त्रध्वानप्रततसुरभिर्यत्र रम्यास्त्यवाच्यां भव्या सैषा गुरुकुलधरा राजते वै समन्तात्।।

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